MeToo Campaign (मीटू अभियान) : Topic Analysis

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         MeToo Campaign


हम 21वीं सदी में तकनीकी के साथ दिन प्रतिदिन आसमान की बुलंदियों को छूते जा रहे हैं। आज समाज का हर पहलू तकनीकी से जुड़ चुका है। तकनीकी हमारे मानसिक शक्ति के विकास को दर्शाती है। फिर भी हमें कभी-कभी ऐसी घटनाएँ सुनने को मिल जाती हैं जो सहज रुप से यह बयाँ कर देती हैं कि इतने विकसित होने के बावजूद भी हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग है जिनकी सोच जानवरों से भी बदतर हैं ।ऐसा करने वाले कुछ ही है जिनको शायद इस बात का आभास भी नहीं होता कि वो इंसान भी हैं, जिसमें नैतिकता होती है और उसे संपूर्ण ब्रह्माण्ड का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना गया है। सन् 2018 में विश्व भर में एक ऐसी घटना ने तूल पकड़ लिया है जिसमें प्रारम्भ में कुछ गिने-चुने ही थे,परंतु कुछ हीं महीनों में इसने एक अभियान का रूप धारण कर लिया। जिससे जुड़ने वाले लोगों की तादात बढ़ती जा रही है ।यह है - MeToo Camapign (मीटू अभियान) आइये जानते हैं क्या है मीटू अभियान ???
 इसकी शुरुआत कब, कहाँ,कैसे और किसके द्वारा हुई और इस अभियान ने इतने शीघ्र इतना विकराल रुप कैसे धारण कर लिया ।


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#MeToo 



   In my views -
   "Metoo (मीटू) यौन उत्पीड़न के विरुद्ध एक सामूहिक जनभावना  है।"
  •  'Me Too' का शाब्दिक अर्थ है 'मुझे भी'।
  •  व्यापक रुप से इसका तात्पर्य है- 'मुझे भी शिकायत है'।

    
सन् 2006 में अमेरिका की एक सामाजिक कार्यकर्ता तराना बुर्के (Tarana Burke) ने सर्वप्रथम इस वाक्यांश 'Me Too' का प्रयोग किया। परंतु इसे लोकप्रियता तब मिली जब अमेरिकी अभिनेत्री अलीशा मिलानो (Alyssa Milano) ने 15 अक्टूबर 2017 को दोपहर में अपने ट्विटर हैंडल पर एक ट्वीट किया और  उनका ट्वीट था - 
 "If you’ve been sexually harassed or assaulted write ‘me too’ as a reply to this tweet.
 If all the women who have been sexually harassed and assaulted wrote 'Me too' as a status, we might give people a sense of the magnitude of the problem."
               हिन्दी में -
 "यदि आप भी यौन उत्पीड़ित और यौन शोषित है तो इस ट्वीट के जवाब में 'Me Too' लिखे।
यदि सभी महिलायें ने जो यौन शोषित और यौन उत्पीडित है अपने स्टेटस के रूप में Me Too लिखा तो हम दुनिया के लोंगो को इस समस्या की वृहदता का अन्दाजा करवा सकते है।"

Comments

  1. आयु, कर्म, विद्या, सम्पत्ति और मृत्यु-ये पांच चीजें प्राणी को उसकी गर्भावस्था में मिल जाती हैं। लेकिन मानव सम्पत्ति जुटाने में लग जाता है, वह अच्छा-बुरा में भेद नहीं कर पाता क्योंकि मानव के नेत्र में मोह-माय की पट्टी बाँध बंध जाती है। वह शरीरी होते हुए भी दूसरे शरीरी के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करता है। ऐसे लोग मानव नहीं जानवर ही है क्योंकि जानवर में सोंचने की क्षमता नहीं होती है, ये इन लोगों में भी देखने योग्य नहीं है।

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